0 सरकार, 8 जनवरी को रिपोर्ट भी मांगी
बिलासपुर, 13 दिसंबर । हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में प्रदेश की सभी सडक़ों पर मनमाने और अनाधिकृत तरीके से बनाए गए स्पीड ब्रेकर को चार सप्ताह के भीतर हटाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने 8 जनवरी को आदेश के परिपालन की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
बिलासपुर के सरकंडा में रहने वाले डीडी आहूजा ने एडवोकेट सुनील ओटवानी के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने बताया है कि प्रदेश की करीब सभी सडक़ों पर अनाधिकृत और मनमाने तरीके से स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं। स्पीड ब्रेकर बनाने में इंडियन रोड कांग्रेस द्वारा निर्धारित मापदंडों का भी पालन नहीं किया गया है। जगह- जगह बनाए गए स्पीड ब्रेकर की लोगों को जानकारी देने के लिए संकेतक भी नहीं लगाए गए हैं। इस वजह से यह ब्रेकर जानलेवा साबित हो रहे हैं। संसद में उठाए गए प्रश्न का जवाब देते हुए केंद्रीय परिवहन मंत्री ने माना था कि देशभर में स्पीड ब्रेकर की वजह से हर साल हजारों लोगों की जान जा रही है। वहीं,ऐसे ब्रेकर की वजह से शारीरिक परेशानी भी बढ़ रही हैं।चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर अनाधिकृत, मनमाने और इंडियान रोड कांग्रेस के मापदंडों का उल्लंघन करते हुए बनाए गए सभी स्पीड ब्रेकर को हटाने के निर्देश दिए हैं। आदेश के परिपालन पर 8 जनवरी 2019 को सुनवाई के दौरान शपथपत्र के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए हैं। याचिकाकर्ता को रिपोर्ट के आधार पर जरूरी मांग रखने की छूट दी गई है।
चीफ जस्टिस ने पिछले सप्ताह भी जताई थी नाराजगी : चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी ने 1 दिसंबर को हाईकोर्ट में हुए समारोह में अनाधिकृत और मनमाने तरीके से बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर सख्त टिप्पणी की थी। दरअसल, रायपुर- बिलासपुर सडक़ जाम होने के कारण सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जस्टिस अरुण मिश्रा को दूसरे रास्ते से आना पड़ा, लेकिन स्पीड ब्रेकर से उन्हें काफी परेशानी हुई।
समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि मैं नहीं जानता स्पीड ब्रेकर छत्तीसगढ़ की तरक्की किस तरह बाधा बन रहे हैं, लेकिन हमें इतने ब्रेकर की जरूरत नहीं है।