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07-Dec-2018 12:23:07 pm
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पद्मश्री प. श्यामलाल चतुर्वेदी नहीं रहे आज सुबह बिलासपुर के निजी अस्पताल में ली अंतिम सांसे

बिलासपुर, 07 दिसंबर ।  पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी का आज सुबह निधन हो गया। बिलासपुर के निजी अस्पताल में आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। पंडित श्यामलाल लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले दिनों रायपुर के भी निजी अस्पताल में उनका इलाज चला था। जिसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी।
श्यामलाल चतुर्वेदी का जन्म  1926 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटमी गाँव में हुआ था। पिछले साल ही उन्हें उत्कृष्ट नागरिक समान पद्मश्री से नवाजा गया था। बिलासपुर के श्यामलाल चतुर्वेदी को साहित्य, शिक्षा व पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था ।
अपने वक्त में वे रायपुर-बिलासपुर करीब 114 किलोमीटर साइकिल से आना-जना करते थे। ये उनकी सादगी थी। वे जनसत्ता और नवभारत टाइम्स के प्रतिनिधि रहे। 1940-41 से लेखन आरंभ किया। शुरूआत हिन्दी में की लेकिन ‘विप्र’ जी की प्रेरणा से छत्तीसगढ़ी में लेखन शुरू किया। चतुर्वेदी शिक्षक भी थे।
उनका कहानी संग्रह ‘भोलवा भोलाराम’ भी प्रकाशित हुआ। वे छत्तीसगढ़ी के गीतकार भी हैं। उनकी रचनाओं में ‘बेटी के बिदा’ प्रसिद्ध रचना है। उन्हें ‘बेटी के बिदा’ के कवि के रुप में लोग पहचानते हैं। बचपन में मां के कारण उनका रुझान लेखन में हुआ। उनकी मां ने उन्हें सुन्दरलाल शर्मा की ‘दानलीला’ रटा दी थी।

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