कश्मीर घाटी में इस साल 15 जुलाई तक 110 स्थानीय युवा आतंकी संगठनों से जुड़े. इनमें सबसे अधिक 28 युवा दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के रहने वाले हैं. यह जिला आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है. अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल 126 स्थानीय युवा आतंकवादी संगठनों से जुड़े थे तथा इस साल यह आंकड़ा और ऊपर जा सकता है. अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद से लोगों के लापता होने की शिकायतों में कमी आई है. उन्होंने बताया कि कुछ युवा अब भी आतंकी समूहों में शामिल हो रहे हैं. पुलवामा, अनंतनाग, कुलगाम और अवंतीपुरा जिलों सहित दक्षिण कश्मीर के जिलों में अब भी सबसे अधिक युवा आईएसआईएस-कश्मीर और अंसार गजवात-उल-हिंद जैसे संगठनों से जुड़ रहे हैं. यह संगठन अलकायदा से समर्थन प्राप्त होने का दावा करता है. उन्होंने बताया कि इन पांच इलाकों से 91 युवा घाटी में काम करने वाले विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े.
अधिकारियों ने बताया कि गांदरबल का रहने वाला एक युवक लापता हो गया था. सोशल मीडिया पर आतंकी की वर्दी में उसकी तस्वीर सामने आने के बाद उसके आतंकवादी संगठन से जुड़ने की पुष्टि हुई. वह एक सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज के डिप्लोमा पाठ्यक्रम के चौथे सेमेस्टर का छात्र था. इस साल आतंकी संगठनों में शामिल होने वालों में कश्मीर विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त करने वाला जुनैद अशरफ सहराई भी शामिल है. वह मोहम्मद अशरफ सहराई का पुत्र है, जिसने सैयद अली शाह गिलानी से तहरीक-ए-हुर्रियत की कमान अपने हाथों में ली है. अधिकारियों ने बताया कि इस सूची में 26 वर्षीय पीएचडी शोधार्थी मन्नान बशीर वानी भी शामिल है. वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहा था.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को अलग-अलग धर्म के दंपति को जबरन अलग करने के लिए फटकार लगाई है। दिल्ली पुलिस को यह पता था कि मुस्लिम महिला की उम्र 21 साल से ज्यादा है और उसने अपनी इच्छा से हिंदू शख्स से शादी की है, इसके बावजूद पुलिस ने दोनों को अलग कर दिया। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस हरकत के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है।
न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने इन आरोपों पर दिल्ली पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा है कि उन्होंने पति को किसी भी अदालत में पेश किए बिना उसे तीन जुलाई से पांच जुलाई तक पुलिस हवालात में रखा।
अदालत का यह आदेश महिला के पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के बाद आया है, जो यह पता करना चाहता था कि उसकी पत्नी कहां है। दंपति ने 28 जून, 2018 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में शादी की थी और फिर मुस्लिम महिला ने नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में पति के आवास पर रहना शुरू कर दिया था।
पुलिसकर्मियों ने जेएनयू के सुरक्षाकर्मियों के साथ तीन जुलाई को रात लगभग आठ बजे महिला को जबरन वहां से उठा लिया और पति को पुलिस को सौंप दिया, जिसे गाजियाबाद में लोनी पुलिस थाने ले जाया गया और तीन दिन तक हवालात में रखा गया।
पति ने आरोप लगाया है कि हवालात में उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया और मारपीट की गई और धमकाया गया कि अगर उसने पत्नी से मिलने की कोशिश की तो उसे दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा।
पुलिस ने महिला के भाई की तरफ से बहन के लापता होने की शिकायत दर्ज कराने के बाद यह कार्रवाई की थी। अदालत ने पुलिस से यह बताने के लिए कहा है कि यह जानते हुए भी कि महिला बालिग है और अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है, उसने महिला के भाई की शिकायत पर कार्रवाई कैसे की।
पीठ ने युवा महिला से चैंबर में मुलाकात की। महिला ने न्यायाधीशों से कहा कि उसने अपनी पसंद के आदमी से विवाह किया था और शादी गाजियाबाद में पंजीकृत कराया था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इसके बाद कोई और अप्रिय घटना नहीं हो, अदालत ने पुलिस को दंपति के साथ-साथ उनके परिवार को भी सुरक्षा प्रदान करने का निदेर्श दिया है और इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए सात अगस्त का दिन निधार्िरत किया है।
पीठ ने युवा महिला की मां से बात की और उसे समझाया कि हालांकि उसे किसी अन्य धर्म के शख्स से अपनी बेटी के शादी करने पर आपत्ति हो सकती है, लेकिन उनकी बेटी वयस्क है। लड़की की मां ने अदालत से कहा कि यह उनकी बेटी पर निर्भर है कि वह अपनी जिंदगी के साथ क्या करना चाहती है।
जैसे ही युवा महिला ने अपने पति के पास लौटने की इच्छा जताई, पीठ ने उसे उसके पति के साथ रहने की अनुमति दे दी। पति भी अदालत में मौजूद था।
अमेरिका-भारत के साथ अपने सामरिक रिश्तों को और बेहतर करना चाहता है। इसी मंशा को लेकर अमेरिकी कांग्रेस में एक बिल पेश की गई है। ‘द यूएस इंडिया एंहांस्ड कोआपरेशन एक्ट’ शीर्षक इस बिल को भारतीय मूल के सांसद अमी बेरा, जोए विल्सन, जार्ज होल्डिंग एवं तुलसी गबार्ड ने संयुक्त रूप से पेश किया है।
इसमें अमेरिका के घनिष्ठ सहयोगी देशों की तर्ज पर ही भारत के साथ सामरिक साझेदारी विकसित करने पर बल दिया गया है। बिल में आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल एक्ट में बदलाव करने की मांग की गई है। इस एक्ट में बदलाव के साथ ही भारत, अमेरिका के सहयोगी देशों की श्रेणी में आ जाएगा।
विधेयक को पेश करने वाले सांसद विल्सन का कहना है, ‘अमेरिका और भारत की दोस्ती हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के लिए जरूरी है। भारत को घनिष्ठ रक्षा साझीदार का दर्जा देकर हम अपना गठबंधन और मजबूत कर सकते हैं। साथ ही भारत के साथ रक्षा सहयोग भी बढ़ा सकते हैं।’ अमेरिकी सासंद के अनुसार, ‘एक साथ हम साझा चुनौतियों को मुकाबला करने में सक्षम होंगे।
पाकिस्तान आम चुनाव में बहुमत के आंकड़े से दूर रही इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए इंसाफ पाकिस्तान (पीटीआई) ने मुल्क में नई सरकार बनाने का ऐलान कर दिया है. पीटीआई ने घोषणा की है कि स्वतंत्रता दिवस से पहले इमरान खान पाकिस्तान के वजीरे-आजम की शपथ लेंगे. पार्टी ने आजाद सांसदों और छोटी पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने का दावा किया है.पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए आम चुनाव के बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, हालांकि पार्टी के पास खुद के दम पर सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्याबल नहीं है.पीटीआई नेता नईनुल हक ने बीती रात मीडिया को बताया कि संख्या बल पूरा करने के लिए सलाह-मशविरा जारी है. हक ने कहा, ‘हमने अपना काम कर लिया है और वह (इमरान खान) 14 अगस्त से पहले प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे.’
पीटीआई को मिली 116 सीटें
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) द्वारा घोषित पूरे संसदीय नतीजों के अनुसार पीटीआई को 116 आम सीटें मिली हैं जो साधारण बहुमत से 11 कम हैं. पीएमएल-एन एवं पीपीपी को क्रमश: 64 और 43 सीटें मिली हैं.संसद के निचले सदन पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (एनए) में कुल 342 सदस्य हैं जिसमें से 272 सीटों का चुनाव सीधे तौर पर होता है और सरकार गठन के लिए 172 सीटें हासिल करना जरूरी है.बहरहाल राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आयी है और राजनीति की बिसात पर पर्याप्त संख्याबल जुटाने के लिये सभी दल खुली बैठकें और गुप्त संवाद कर रहे हैं.पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार दो प्रमुख पार्टियां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), संसद में पीटीआई को कड़ी टक्कर देने के इरादे से संयुक्त रणनीति बनाने के लिये आने वाले दिनों में बैठक कर सकती हैं.वहीं, दूसरी तरफ पीटीआई के जिन नेताओं ने एक से अधिक सीट पर जीत दर्ज की है उन्हें अन्य सीट खाली करनी होगी क्योंकि कानून के अनुसार एक उम्मीदवार एक ही सीट का प्रतिनिधित्व कर सकता है. पीटीआई के अध्यक्ष खान ने पांच सीटों से जीत दर्ज की है, इसलिए उन्हें चार सीटें खाली करनी होंगी.पूर्व गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान को शिकस्त देने वाले तक्षशिला से गुलाम सरवर खान ने भी दो एनए सीटों पर जीत दर्ज की है इसलिए उन्हें भी एक सीट छोड़नी होगी.खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज खटक ने भी नेशनल असेंबली और प्रांतीय असेंबली दोनों सीटों पर जीत दर्ज की हैय इसलिए अगर पीटीआई उन्हें मुख्यमंत्री के पद के लिये फिर से नामांकित करती है तो उन्हें भी एनए सीट छोड़नी होगीय ऐसे में पार्टी की सीटें घटकर 109 हो जाएंगी.यही वजह है कि पीटीआई नेतृत्व ने अब अन्य छोटे समूहों और निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क करने का फैसला किया है. पार्टी पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि वह पीएमएल-एन और पीपीपी के साथ गठजोड़ नहीं करेगी.अनुमान है कि अगर पीटीआई को जीडीए, एमक्यूएम-पी, पीएमएल-क्यू और अवामी मुस्लिम लीग का समर्थन हासिल हो जाता है तब भी यह संख्या 122 हो पायेगी जो जरूरी संख्या बल से 15 कम है. यह आंकड़ा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या से अधिक है,जिन अन्य पार्टियों का एनए में प्रतिनिधित्व है उनमें तीन सीटों के साथ बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम), एक-एक सीटों के साथ जम्हूरी वतन पार्टी, अवामी नेशनल पार्टी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसानियत शामिल है.पीपीपी और पीएमएल-एन ने चुनाव नतीजों को खारिज किया है. बहरहाल दोनों पार्टियों में सूत्रों ने ‘डॉन’ को बताया कि वे मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल (एमएमए) द्वारा नेशनल असेंबली के शपथ ग्रहण सत्र के बहिष्कार के आह्वान का समर्थन नहीं करेंगे.
देहरादून। देहरादून में पिता-पुत्री के रिश्ते को तार-तार करने वाली एक शर्मनाक घटना सामने आई है। एक व्यक्ति पर अपनी नाबालिग पुत्री से दुराचार का आरोप है।
आरोप है कि घटना में व्यक्ति के साथ उसका एक अन्य दोस्त भी शामिल था। नाबालिग लड़की की मां ने अपने पति व दूसरे व्यक्ति के खिलाफ उड़िसा में गैंगरेप का मुकदमा दर्ज कराया है। घटनास्थल देहरादून होने के कारण इस मुकदमे को दून के रायपुर थाना में ट्रांसफर किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंस्पेक्टर रायपुर हेमेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि उड़िसा के चौदवार कटक थाने से दुराचार का मुकदमा ट्रांसफर हुआ है। उन्होंने बताया कि उड़िसा निवासी एक व्यक्ति साल 2015 से 2017 तक अपने परिवार के साथ थाना क्षेत्र में रहता था। वह मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करता था।
इसके बाद नवंबर 2017 में परिवार वापस उड़िसा लौट गया। इंस्पेक्टर नेगी ने बताया कि उड़िसा लौटने के बाद उसकी नाबालिग बेटी ने अपनी मां को अपने साथ हुई घटना के बारे में जानकारी दी।
आरोप है कि जब वे देहरादून में थे तब उसके पिता ने अपने एक परिचित देवेंद्र झा निवासी रायपुर के साथ मिलकर उसके साथ दुराचार किया था।महिला की शिकायत पर चौदवार कटक थाना पुलिस ने सामूूहिक दुराचार और पोक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था।
स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा होने को लेकर स्विस बैंक ने सफाई दी है. उसने कहा है कि इन बैंकों में जमा सभी पैसा काला धन नहीं है. स्विस बैंक BIS की तरफ से जारी डेटा के मुताबिक 2017 में काले धन में 34.5 फीसदी की कमी आई है. उसने कहा कि एनडीए राज में काला धन 80 फीसदी कम हुआ है.
स्विस बैंक बीआईएस ने बताया, ”नॉन-बैंक लोन और डिपोजिट्स (अतीत में इन लेन-देन को ही कालेधन के तौर पर आंका जाता रहा है. इसमें इंटर-बैंकिंग ट्रांजैक्शन शामिल नहीं है ) में कमी आई है.” बैंक के मुताबिक 2016 में नॉन-बैंक लोन का आंकड़ा जहां 80 करोड़ डॉलर था. वह 2017 में घटकर यह 52.4 करोड़ डॉलर पर आ गया है.
बैंक ने बताया कि एनडीए के राज में स्विस नॉन-बैंक लोन और डिपोजिट्स में काफी ज्यादा कटौती हुई है. 2013 से 2017 के दौरान इसमें 80 फीसदी की कमी आई है. स्विस बैंक की यह सफाई उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आई है, जिनमें कहा जा रहा था कि स्विस बैंक में भारतीयों की जमा राशि 50 फीसदी बढ़ी है.इसको लेकर बीआईएस ने कहा कि इस डाटा को आम तौर पर गलत तरीके से पेश किया जाता है. क्योंकि इसमें कई और लेन-देन भी शामिल होते हैं. बैंक के मुताबिक यहां जमा राशि में नॉन-डिपोजिट लाएब्लिटीज, भारत में स्थित स्विस बैंकों की शाखाओं का कारोबार भी शामिल होता है. इसमें बैंकों के स्तर पर हुआ लेन-देन भी होता है. इसके अलावा जमा राशि में भरोसेमंद देयता भी शामिल होती है.