विज्ञान

रविवार के दिन भूलकर भी ना करें ये 2 काम
Posted Date : 08-Jul-2018 12:17:34 pm

रविवार के दिन भूलकर भी ना करें ये 2 काम

रविवार के दिन भूलकर भी ना करें ये 2 काम वरना जीवन में कभी नहीं आएगी खुशियाँ हो जायेंगे भिखारी….. प्रिय दोस्तों आज के समय में इतनी मंहगई हो गई है, कि गरीबों को अच्छे तरीके से खाना तक नही मिल पा रहा है! इस दौर में गरीबों के लिये कोई विशेष व्यवस्थाओं अभी तक नही बन पा रही है! लेकिन कोशिश हमेशा से रही है, कि गरीबों को हर सुविधा मिल सकें! लेकिन दोस्तों गरीबी वह एक अभिश्राप है, जिसकी वजह से लोगों को कर्ज भी लेना पड़ जाता है, और उसी कर्ज में गरीब व्यक्ति डूबता जा रहा है! आज हम बात करने जा रहे है, गरीबी और कर्ज से छुटकारा पाने की! आज के युग की या बीते हुये युग की अपार धन की प्राप्ति हर व्यक्ति की चाहत है! सिर्फ चाहने से धन नही मिलता है, उसके लिये मन में लगन व तड़प भी होना आवश्यक है! धन सबके भाग्य में होता है! लेकिन किसी के पास कम तो किसी के पास अधिक हो सकता है! लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी खास बातों से अवगत कारवाने जा रहे है, जो शायद आप सभी नहीं जानते है!

जैसा की आप सबी जानते है, कि आज के समय में भी अक्सर लोग दिन देखकर अपने बाल कटवाते है! ऐसे में अब कुछ लोग गुरूवार, शनिवार या मंगलवार के दिन बाल और नाख़ून नहीं काटते या कटवाते, तो ऐसे में लोग रविवार के दिन को ही सबसे शुभ दिन मानते है! तो इसी दिन ये काम करतें है! लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे है, कि आपके लिए ये काम करने किस दिन शुभ या अशुभ होतें है!

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि सोमवार चंद्रमा का दिन होता है, तो इस दिन बाल कटवाने से व्यक्ति हमेशा तनाव में ही रहता है! क्यूंकि यह दिन मानसिक स्वास्थ्य के लिए अशुभ माना जाता है! मंगलवार के दिन अपने बाल और नाख़ून नहीं काटते, मंगलवार के दिन बाल या नाख़ून कटवाने से इंसान की उम्र कम हो जाती है लोगो का ऐसा मानना है!

1. बुधवार का दिन यह दिन सभी कामों के लिए सबसे शुभ माना जाता है, तो इस दिन बाल कटवाने से आपके घर में काफी ज्यादा बरकत आती है!

2. गुरूवार को लोग भगवान विष्णु का दिन मानते है, और इस दिन बाल कटवाने से लक्ष्मी का नाश होता है! साथ ही मान और सन्मान की भी हानी होती है! इसी लिए लोग गुरूवार के दिन बाल और नाख़ून नहीं काटते!

3. शुक्रवार का दिन भौतिक सुख सुविधाओं का दिन माना जाता है! इसी लिए यह दिन सबसे सही रहेगा बाल और नाख़ून कटवाने के लिए! क्यूंकि इस दिन ऐसा करने से लाभ मिलता है!

4. शनिवार के दिन कभी भी बाल और नाख़ून नहीं काटना चाहिए यह दिन शीघ्र मृत्यु का कारक माना जाता है! इसी लिए शनिवार को यह काम करने के लिए हमेशा बचे!

5. ज्यादातर लोग रविवार को छुट्टी के दिन बाल और नाख़ून काटते है! रविवार सूर्य का दिन होता है, इस दिन बाल और नाख़ून करवाने से धन और बुद्धि में खपत होती है!

मुर्गे के भीतर होते हैं खतरनाक जीवाणु, चिकन खाने से इंसान बन सकता है नपुंसक : रिसर्च
Posted Date : 08-Jul-2018 12:07:37 pm

मुर्गे के भीतर होते हैं खतरनाक जीवाणु, चिकन खाने से इंसान बन सकता है नपुंसक : रिसर्च

नई दिल्ली। बहुत सारे व्यक्ति चिकन खाने के बहुत ज्यादा ही शौकीन होते हैं उन्हें हफ्ते में कम से कम तीन या चार बार तो चिकन मिलना ही चाहिए क्योंकि उन्हें चिकन की आदत हो जाती है। इस खबर को पढ़कर आप चिकन खाना ही छोड़ देंगे एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि चिकन खाना हमारे सेहत के लिए हानिकारक होता है। एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि हफ्ते में 4 बार से ज्यादा चिकन खाने से व्यक्ति कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो सकता है और चिकन खाने वाले व्यक्ति नपुंसक बन सकते हैं। मुर्गे के भीतर खतरनाक जीवाणु होते हैं।

डायबिटीज का खतरा 
रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो व्यक्ति रेड मीट और चिकन खाते हैं उनमें डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। वैसे तो वेजिटेरियन खाने को नॉन वेजिटेरियन खाने से बहुत ज्यादा हेल्दी माना जाता है लेकिन सभी प्रकार का नॉनवेज खाना हानिकारक साबित नहीं होता है लेकिन रेड मीट और चिकन में हिम आयरन की मात्रा अत्यधिक ज्यादा होती है जिसके कारण डायबिटीज जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

फर्टिलिटी 
आमतौर पर आप जो दुकानों से ही चिकन लेकर आते हैं वह नैचुरल तरीके से बड़ी साइज का नहीं होता है दुकानदार चिकन बेचने से पहले उसका आकार बढ़ाने के लिए उसे ओक्सिटोसिन के इंजेक्शन लगाकर चिकन का साइज बढ़ा देते हैं जो आपकी सेहत के लिए बहुत ज्यादा ही हानिकारक होते हैं और इससे आपको फर्टिलिटी की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।

बना सकता है नपुंसक 
आमतौर पर चिकन खाने से सिर्फ पुरुषों पर ही इसका गलत प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि महिलाओं पर भी इसका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है जो महिलाएं अधिक मांस खाती है उनमें भी फर्टिलिटी की समस्या उत्पन्न होने लग जाती है और जिस कारण से महिला और पुरुष को माता-पिता बनने में कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है अतः कहा जा सकता है कि चिकन नपुंसक बना देता है।

सेहत के लिए खान पान,साफ सुथरा रखे वरना इन कीड़ों से करना पड़ेगा मुकाबला
Posted Date : 03-Jul-2018 5:52:50 pm

सेहत के लिए खान पान,साफ सुथरा रखे वरना इन कीड़ों से करना पड़ेगा मुकाबला

जयपुर। हमारे वातावरण में कई प्रकार के कीड़े मकोड़े होते है। कई हमारी सेहत के लिए अच्छे होते है तो कई सबसे खतरनाक है। जो हमें बिमार कर देते है। इन कीड़ों की वजह से आंतरीक बिमारीयां होती है। जैसे की आंत – कई जीवाणु और विषाणु होते है जो हमारी खोने के जरिये आंत में पहुँचते है। और नुकसान करते है। इन कीड़ों आप परजीवि भी कह सकते है। ये कुछ इस प्रकार हैं-

टैपवार्म 

ये एक परजीवि है ये हमारे शरीर में आंतों में पाया जाता है। आपको बता दे की इन परजीवी की लगभग 5,000 प्रजातियां हैं, लेकिन शुक्र है केवल तीन ही प्रजातियां हमनें हमारे शरीर में प्रवेश करती है। ये हमारे शरीर में सूअर, मांस और मछली से प्रवेश करते हैं। इनका सिर एक हुक की तरह से होता है। जिससे ये आंत में चिपके रहते है। और जब ये आंतों की दीवार पर चिपकते है तो ये एक तरह का लार्वा छोड़ते है और ये लार्वा आपके भ्रूण का उपभोग करते हैं और साथ ही आपकी मांसपेशियों, त्वचा, आंखों या मस्तिष्क में भी ये उग जाते है।

पिनवार्म

अमेरिका में इंसानों को संक्रमित करने के लिए पिनवार्म सबसे प्रसिद्ध परजीवि है। जब इससे संक्रमित व्यक्ति सोए जाते हैं तो ये बड़ी आंत में गुदा खोलने के लिए अपनी शरीर में स्लोग बनाते हैं, जहां पर वे अपने अंडे डालते हैं। ये ही एक ऐसी प्रक्रिया जो खुजली का कारण बनती है। ये बहुत ही खतरनाक होते है। बस इनका ये रहता है की कैसे जैसे करके ये मानव के शरीर में प्रवेश कर जाये। और अपना प्रभुत्व जमा ले। इसलिए हमेशा पानी साफ पीये ताकी इन कीड़ों से बचा जा सकें।

नमक का अधिक सेवन घातक, हो सकती है असमय मौत
Posted Date : 02-Jul-2018 5:07:42 pm

नमक का अधिक सेवन घातक, हो सकती है असमय मौत

शोधकर्ताओं ने चेताया है कि सोडियम का अधिक मात्रा में सेवन जानलेवा हो सकता है। भोजन में सोडियम का अधिक मात्रा होने से दिल की बीमारियां हो सकती है और साथ ही असामयिक मौत होने का खतरा भी बढ़ सकता है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमायलॉजी में प्रकाशित यह अध्ययन करीब 3,000 लोगों पर किया गया जिन्हें उच्च रक्तचाप था। इस अध्ययन से भोजन में नमक की अधिक मात्रा और मौत के खतरे के बीच सीधा संबंध होने की पुष्टि हुई है।

अमेरिका में बर्मिंघम और वुमेंस अस्पताल की नैंसी कुक ने कहा कि भोज्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा को मापना मुश्किल है। सोडियम छिपा हुआ होता है यहां तक कि अक्सर आपको पता ही नहीं होता कि आप कितनी मात्रा में सोडियम का सेवन कर रहे हैं।

अनजाने में ही हम निर्धारित मात्रा से अधिक सोडियम अर्थात नमक का सेवन करने लगते है। जो आगे चलकर स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि सोडियम की मात्रा हर दिन बदलती रहती है जिसका मतलब है कि आपने कितनी मात्रा में सोडियम का सेवन किया इसका पता लगाने के लिए कई दिनों तक यूरीन के नमूने लेने पड़ते हैं।

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि अधिक मात्रा में सोडियम का सेवन करने और मौत का खतरा बढ़ने के बीच प्रत्यक्ष संबंध है। 

ये 6 फायदे होते हैं रक्तदान करने से
Posted Date : 23-Jun-2018 6:01:32 pm

ये 6 फायदे होते हैं रक्तदान करने से

कई लोग रक्तदान करने से हिचकिचाते हैं, मगर विशेषज्ञों का कहना है कि रक्तदान करने से दिल की सेहत में सुधार होता है. साथ ही अन्य कई फायदे भी होते हैं. रक्तदान से रक्तदाता के शरीर और मन दोनों पर बहुत अच्छा प्रभाव भी पड़ता है. हेल्थियंस की सीनियर लाइफस्टाइल एवं वेलनेस मैनेजमेंट कंसल्टेंट डॉ. स्नेहल सिंह बताती हैं, ‘रक्तदान, रक्तदाता के शरीर और मन दोनों पर बहुत अच्छा प्रभाव डालता है. दुख की बात यह है कि हम में से ज्यादातर लोगों को इन फायदों के बारे में पता नहीं है’. उन्होंने कहा कि 18 से 60 साल की उम्र का कोई भी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है. बस, इसके लिए जरूरी है कि वह स्वस्थ हो और कुछ मानकों को पूरा करता हो. अगर आपको कोई बीमारी है या आप कोई दवा ले रहे हैं तो बेहतर होगा कि रक्तदान से पहले अपने चिकित्सक से सलाह ले लें और रक्तदान के लिए हो रही जांच के समय पूरी जानकारी दें. डॉ. स्नेहल ने कहा कि हीमोग्लोबिन का स्तर सही हो और सेहत के मानक पर खरे उतरने की स्थिति में महिलाएं भी रक्तदान कर सकती हैं. मगर मासिक धर्म, गर्भावस्था और स्तनपान की स्थिति में महिलाओं को रक्तदान से बचना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पूरी सावधानी से किया जाने वाला रक्तदान सुरक्षित होता है और किसी जरूरतमंद को आपकी तरफ से दिया जा सकने वाला सबसे अच्छा उपहार हो सकता है. और हां, यह भी जानने लायक बात है कि खून को प्लाज्मा, प्लेटलेट और लाल रक्त कोशिकाओं जैसे घटकों में तोड़ा जा सकता है. इनको अलग-अलग करके एक ही रक्तदान से तीन जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.

रक्तदान के फायदे 
दिल की सेहत में सुधार : रक्तदान करना आपके दिल की सेहत को सुधार सकता है और दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है. माना जाता है कि खून में आयरन की ज्यादा मात्रा दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा सकती है. नियमित रूप से रक्तदान करने से आयरन की अतिरिक्त मात्रा नियंत्रित हो जाती है, जो दिल की सेहत के लिए अच्छी है.

लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि : रक्तदान के बाद शरीर खून को पूरा करने के काम में लग जाता है. इससे शरीर की कोशिकाएं ज्यादा लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए प्रेरित होती हैं, जो आपकी सेहत को सुधार सकता है और शरीर को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है.

वजन नियंत्रण में सहायक : रक्तदान कैलोरी जलाने और वजन को कम करने में मदद कर सकता है. लाल रक्त कोशिकाओं का स्तर अगले कुछ महीने में बराबर हो जाता है. इस बीच स्वस्थ डाइट और नियमित व्यायाम से वजन नियंत्रण में मदद मिलती है. हालांकि, रक्तदान को वजन कम करने का तरीका नहीं कहा जा सकता.

कम होता है कैंसर का खतरा : नियमित अंतराल पर रक्तदान से शरीर में आयरन की अधिकता होने से बचा सकते हैं. यह कुछ निश्चित प्रकार के कैंसर के खतरे को भी कम करता है.

बेहतर सेहत : नियमित रूप से रक्तदान शरीर की कोशिकाओं को प्रोत्साहित करता है, जिससे शरीर की फिटनेस सुधरती है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. साथ ही रक्तदान के जरिये एक अच्छा काम करने की सोच, संतुष्टि भी देती है.

स्वास्थ्य जांच का मौका : सेहत को होने वाले इन फायदों के अलावा रक्तदान की प्रक्रिया में रक्तदान से पहले आपके खून और आपकी सेहत की निशुल्क जांच भी हो जाती है. खून की जांच करके हीमोग्लोबिन के स्तर का पता लगाया जाता है और कुछ संक्रमणों, बीमारियों की आशंका की भी जांच की जाती है. खून की जांच से यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति रक्तदान के लिए तैयार है या नहीं. इसलिए नियमित तौर पर रक्तदान से आप अपनी सेहत पर भी नजर बनाए रख सकते हैं.

21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस, जानें इतिहास
Posted Date : 20-Jun-2018 11:22:25 pm

21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस, जानें इतिहास

मतभेदों और विवादों से भरे आज के इस दौर में अगर दुनिया के लगभग सभी देश परस्पर सहमति से किसी एक मुद्दे पर एक साथ एक दूसरे का समर्थन करें तो यह मान लेना चाहिए कि जरूर वह मुद्दा वैश्विक हित से जुड़ा होगा। 21 जून को दुनियाभर में मनाया जाने वाला योग दिवस ऐसा ही एक आयोजन है। भारत में योग को स्वस्थ रहने की लगभग 5000 साल पुरानी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह हमारे देश के लोगों की जीवनचर्या का हिस्सा है। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 सितंबर, 2014 को दुनियाभर में योग दिवस मनाने का आह्वान किया था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा भारत के लिए एक महान क्षण था क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव आने के मात्र तीन माह के भीतर इसके आयोजन का ऐलान कर दिया। महासभा ने 11 दिसंबर, 2014 को यह ऐलान किया कि 21 जून का दिन दुनिया में योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह दुनियाभर के लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तथा आध्यात्मिक संतोष के विकास का अनुपम अवसर था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का दुनिया के लगभग सभी देशों ने समर्थन किया और दुनिया के 170 से ज्यादा देशों के लोग 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाते हैं और योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का संकल्प लेते हैं। पूरे विश्व में इस दिन योग के फायदों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये योग प्रशिक्षण शिविर, योग प्रतियोगिता और सामूहिक योगाभ्यास किया जाता है। चूंकि यह दिन दुनियाभर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मनाया जाता है इसलिए वह खुद इस आयोजन में बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी निभाते हैं और उन्हीं की अगुवाई में इस दिन के मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। 

21 जून को ही क्यों?
21 जून के दिन को विश्व योग दिवस के लिए चुनने की भी एक खास वजह है। दरअसल यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कह सकते हैं। भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी है। 

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 
21 जून, 2015 को पहला अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्‍ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे। इस समारोह ने दो गिनेस रेकॉर्ड्स की स्थापना की। सबसे बड़ी योग क्लास 35,985 लोगों के साथ और 84 देशों के लोगों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का रेकॉर्ड बना। 

दूसरा योग दिवस 21 जून, 2016 को चंडीगढ़ में मनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में सैकड़ों लोगों ने योग के आसन किए। 2017 में तीसरे अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में लखनऊ में बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें करीब 51 हजार लोगों ने हिस्‍सा लिया। इस बार का मुख्य योग कार्यक्रम देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होगा और साल के इस सबसे लंबे दिन लोग अपने जीवन को अधिक से अधिक लंबा और स्वस्थ बनाए रखने का संकल्प लेंगे। 

योग का इतिहास
पूर्व वैदिक काल (2700 ईसा पूर्व) में एवं इसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक साक्ष्‍य देखे गए। मुख्‍य स्रोत, जिनसे हम इस अवधि के दौरान योग की प्रथाओं तथा संबंधित साहित्‍य के बारे में सूचना प्राप्‍त करते हैं, वेदों (4), उपनिषदों (18), स्‍मृतियों, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पाणिनी, महाकाव्‍यों (2) के उपदेशों, पुराणों (18) आदि में उपलब्‍ध हैं। 

ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्‍यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। योग के विज्ञान की उत्‍पत्ति हजारों साल पहले हुई थी, पहले धर्मों या आस्‍था के जन्‍म लेने से काफी पहले हुई थी। योग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरू या आदि गुरू के रूप में माना जाता है।