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आरबीआई ने डिजिटल ऋण में डिफ़ॉल्ट हानि गारंटी पर दी स्पष्टता
Posted Date : 27-Apr-2024 11:12:59 am

आरबीआई ने डिजिटल ऋण में डिफ़ॉल्ट हानि गारंटी पर दी स्पष्टता

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल ऋण में डिफ़ॉल्ट हानि गारंटी (डीएलजी) के लिए अपने दिशानिर्देशों पर अधिक स्पष्टता प्रदान करने के लिए नये सिरे से ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ (एफएक्यू) जारी किए, जो पहली बार जून 2023 में जारी किए गए थे।
डीएलजी बैंक और एक इकाई के बीच एक समझौता है जिसके तहत वह इकाई बैंक के ऋण पोर्टफोलियो के एक निश्चित प्रतिशत तक डिफ़ॉल्ट के कारण होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा प्रदान करने की गारंटी देती है।
जून 2023 में दिशानिर्देश जारी करते समय, आरबीआई ने कहा था कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी बकाया पोर्टफोलियो पर डीएलजी कवर की कुल राशि – जो कि अग्रिम रूप से निर्दिष्ट है – उस ऋण पोर्टफोलियो की राशि के पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों की अपनी सूची में, आरबीआई ने कहा कि जिस पोर्टफोलियो के लिए डीएलजी की पेशकश की जा सकती है, उसमें पहचान योग्य और मापने योग्य ऋण संपत्तियां शामिल होनी चाहिए।
यह पोर्टफोलियो डीएलजी कवर के प्रयोजन के लिए स्थिर रहेगा और इसका उद्देश्य गतिशील होना नहीं है।
आरबीआई ने कहा कि पांच प्रतिशत की सीमा किसी भी समय डीएलजी सेट से वितरित कुल राशि पर लागू होती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि आरई द्वारा एक बार लागू की गई डीएलजी राशि को ऋण वसूली सहित बहाल नहीं किया जा सकता है।
आरबीआई ने कहा कि दिशानिर्देश डीएलजी कवर स्वीकार करने वाले बैंकों के लिए बोर्ड-अनुमोदित नीति लागू करना अनिवार्य करते हैं, डीएलजी प्रदाता के रूप में कार्य करने वाले बैंकों को विवेकपूर्ण उपाय के रूप में बोर्ड-अनुमोदित नीति भी लागू करनी होगी।
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि एनबीएफसी-पी2पी प्लेटफॉर्म पर व्यवस्थित ऋण पर डीएलजी की अनुमति नहीं है।
इसी प्रकार, क्रेडिट कार्ड के लिए भी डीएलजी व्यवस्था की अनुमति नहीं है।
आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर आसानी से समझने के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को उदाहरणों के साथ समझाया है।

 

आरबीआई ने देश के तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में सहायक छह कारकों को किया रेखांकित
Posted Date : 26-Apr-2024 8:37:41 pm

आरबीआई ने देश के तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में सहायक छह कारकों को किया रेखांकित

मुंबई। भारत के हालिया विकास प्रदर्शन ने कई पंडितों को आश्चर्यचकित कर दिया है, जिससे आईएमएफ तथा दूसरे वित्तीय संस्थानों में पूर्वानुमान बढ़ाने की होड़ लग गई है। इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने  प्रकाशित अपने मासिक बुलेटिन में उन छह कारकों का उल्लेख किया है जो देश के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में सर्वाधिक योगदान देंगे।
आरबीआई बुलेटिन में बताया गया है कि क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही दुनिया में तीसरे नंबर पर है। ओईसीडी के दिसंबर 2023 के अपडेट के अनुसार, भारत पीपीपी के मामले में 2045 तक अमेरिका से आगे निकल जाएगा और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
बुलेटिन के अनुसार, भारत की उड़ान को गति देने वाले समर्थक कारक इस प्रकार हैं :
* विकास की बढ़ती प्रोफ़ाइल को जनसांख्यिकी से मदद मिल रही है। वर्तमान में, देश में दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे युवा आबादी है। औसत आयु लगभग 28 वर्ष है; जो 2050 के दशक के मध्य तक बुढ़ापे की उम्र में नहीं पहुंचेगी। इस प्रकार, भारत के पास तीन दशक से अधिक समय तक जनसांख्यिकीय का लाभ रहेगा। यह व्यापक रूप से उम्र बढऩे की चुनौती का सामना कर रही दुनिया के विपरीत है।
* भारत का विकास प्रदर्शन ऐतिहासिक रूप से घरेलू संसाधनों पर आधारित रहा है, जिसमें विदेशी बचत एक छोटी और पूरक भूमिका निभाती है। यह चालू खाता घाटा (सीएडी) में भी परिलक्षित होता है, जो सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 2.5 प्रतिशत की स्थायी सीमा के भीतर रहता है। वर्तमान में, सीएडी का औसत लगभग एक प्रतिशत है, और यह बाह्य क्षेत्र के लचीलेपन के विभिन्न संकेतकों से जुड़ा है। उदाहरण के तौर पर, बाह्य ऋण सकल घरेलू उत्पाद के 20 प्रतिशत से नीचे है और शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय निवेश देनदारियां 12 प्रतिशत से नीचे हैं।
*कोविड महामारी के बाद अपनाए गए राजकोषीय समेकन के क्रमिक मार्ग ने मार्च 2024 तक सामान्य सरकारी घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 8.6 प्रतिशत और सार्वजनिक ऋण को सकल घरेलू उत्पाद के 81.6 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है। डीएसजीई मॉडल लागू करने पर यह अनुमान लगाया गया है कि उत्पादक रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों को लक्षित करके राजकोषीय खर्च की प्राथमिकता नये सिरे से तय करने, संक्रमण को अपनाने और डिजिटलीकरण में निवेश करने से 2030-31 तक सामान्य सरकारी ऋण घटकर जीडीपी के 73.4 प्रतिशत तक रह सकता है।
इसके विपरीत, आईएमएफ द्वारा उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऋण-जीडीपी अनुपात बढक़र 2028 में 116.3 प्रतिशत और उभरते तथा मध्यम आय वाले देशों के लिए 75.4 प्रतिशत होने का अनुमान है।
* भारत का वित्तीय क्षेत्र मुख्यत: बैंक आधारित है। वित्त वर्ष 2015-2016 में, वैश्विक वित्तीय संकट के मद्देनजर परिसंपत्ति की हानि की समस्या का समाधान परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) के माध्यम से किया गया था।उसके बाद 2017-2022 के दौरान बड़े पैमाने पर पुनर्पूंजीकरण किया गया। लाभकारी प्रभाव 2018 से दिखना शुरू हुआ - मार्च 2023 तक सकल और शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) अनुपात घटकर क्रमश: 3.9 प्रतिशत और एक प्रतिशत हो गया, जिसमें बड़े पूंजी बफर और तरलता कवरेज अनुपात 100 प्रतिशत से ऊपर थे।
दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने बैंकों की बैलेंस शीट पर को दूर करने के लिए संस्थागत वातावरण तैयार किया है। व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं के लिए आधार प्रदान कर रही है।
 भारत प्रौद्योगिकी के बल पर परिवर्तनकारी बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जैम की त्रिमूर्ति - जन धन (बुनियादी नो-फ्रिल्स खाते); आधार (सार्वभौमिक विशिष्ट पहचान); और मोबाइल फोन कनेक्शन - औपचारिक वित्त के दायरे का विस्तार कर रहा है, तकनीकी स्टार्टअप को बढ़ावा दे रहा है, और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लक्ष्य को सक्षम कर रहा है। भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (क्कढ्ढ), एक ओपन-एंडेड सिस्टम जो किसी भी भाग लेने वाले बैंक के एकल मोबाइल एप्लिकेशन में कई बैंक खातों को सशक्त बनाता है, अंतर-बैंक, पीयर-टॉपियर और व्यक्ति-से-व्यापारी लेनदेन को निर्बाध रूप से बढ़ावा दे रहा है।
* महामारी, मौसम से प्रेरित खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद वैश्विक कमोडिटी मूल्य दबाव के कारण कई आपूर्ति झटकों के कारण बढऩे के बाद देश में मुद्रास्फीति कम हो रही है।

 

देश की जीडीपी विकास दर फिर सात प्रतिशत से ऊपर पहुंचने की राह पर : आरबीआई
Posted Date : 26-Apr-2024 8:37:24 pm

देश की जीडीपी विकास दर फिर सात प्रतिशत से ऊपर पहुंचने की राह पर : आरबीआई

मुंबई  । भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर का ग्राफ कोविड-19 के पहले के समय की तरह सात प्रतिशत से ऊपर जाने के आरंभिक संकेत मिल रहे हैं।
केंद्रीय बैंक की आज जारी मासिक बुलेटिन में कहा गया है, मजबूत निवेश मांग और उत्साहित व्यापार तथा उपभोक्ता भावनाओं के समर्थन से भारत की वास्तविक जीडीपी विकास दर में बढ़ोतरी की प्रवृत्ति के विस्तार के लिए स्थितियां बन रही हैं।
इसमें यह भी बताया गया है कि 2024 की पहली तिमाही में वैश्विक विकास की गति बरकरार रही है और वैश्विक व्यापार का परिदृश्य सकारात्मक हो रहा है। ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों पर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सरकारी बॉन्डों पर ब्याज और मॉर्गेज दरें बढ़ रही हैं।
वैश्विक व्यापार पर सकारात्मक दृष्टिकोण से भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलने और विकास में तेजी आने की उम्मीद है।
भारत के हालिया विकास प्रदर्शन ने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है, जिससे पूर्वानुमान बढ़ाने की होड़ लग गई है। उदाहरण के लिए, आरबीआई बुलेटिन में बताया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अप्रैल 2023 और जनवरी 2024 के बीच 2023 के लिए अपने पूर्वानुमान में कुल मिलाकर 0.80 प्रतिशत की वृद्धि की है।
नवीनतम अपडेट में, आईएमएफ को उम्मीद है कि भारत वैश्विक विकास में 16 प्रतिशत का योगदान देगा, जो बाजार विनिमय दरों के आधार पर दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा योगदान है। उसने कहा है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले एक दशक में जर्मनी तथा जापान से आगे निकलने की स्थिति में है।
आरबीआई बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि देश की खुदरा महंगाई दर इस साल के पहले दो महीनों में औसतन 5.1 प्रतिशत रहने के बाद मार्च में 4.9 प्रतिशत हो गई है।
हालांकि, आरबीआई ने कहा है कि निकट भविष्य में चरम मौसम की घटनाओं से मुद्रास्फीति के लिए जोखिम पैदा हो सकता है। साथ ही लंबे समय तक भूराजनीतिक तनाव भी हो सकता है जो कच्चे तेल की कीमतों को अस्थिर रख सकता है।

 

आईसीआईसीआई बैंक के 17 हजार यूजरों का क्रेडिट कार्ड डेटा लीक, बैंक ने कार्ड ब्लॉक किए
Posted Date : 26-Apr-2024 8:36:56 pm

आईसीआईसीआई बैंक के 17 हजार यूजरों का क्रेडिट कार्ड डेटा लीक, बैंक ने कार्ड ब्लॉक किए

नई दिल्ली  । आईसीआईसीआई बैंक के कम से कम 17 हजार नए ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड डेटा लीक होने और ‘गलत यूजरों’ तक पहुंचने के बाद बैंक ने कार्डों को ब्लॉक कर दिया है और ग्राहकों को नए कार्ड जारी कर रहा है। यह मुद्दा तब सामने आया जब आईसीआईसीआई बैंक के कुछ ग्राहकों ने सोशल मीडिया पर बैंक के आईमोबाइल पे ऐप द्वारा उनके पूरे नंबर और कार्ड सत्यापन मूल्य (सीवीवी) सहित क्रेडिट कार्ड विवरण लीक होने के बारे में चिंता व्यक्त की।
वित्त-संबंधित फोरम टेक्नोफिनो पर, कई यूजरों ने अचानक अपने आईमोबाइल पे ऐप पर कुछ अज्ञात ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड के पूरे कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट और सीवीवी जैसे संवेदनशील डेटा मिलने की सूचना दी। आईसीआईसीआई बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि यह उनके संज्ञान में आया है कि पिछले कुछ दिनों में जारी लगभग 17 हजार नए क्रेडिट कार्ड हमारे डिजिटल चैनलों में गलत यूजरों के लिए मैप कर दिये गए थे।
प्रवक्ता ने कहा, इस सेट से किसी कार्ड के दुरुपयोग का कोई मामला हमारी सूचना में नहीं है। हालांकि, हम आश्वस्त करते हैं कि किसी भी वित्तीय नुकसान के मामले में बैंक ग्राहक को उचित मुआवजा देगा। बैंक के अनुसार, प्रभावित क्रेडिट कार्डों की संख्या बैंक के क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो का लगभग 0.1 प्रतिशत है। आईसीआईसीआई बैंक के प्रवक्ता ने कहा, तत्काल उपाय के रूप में, हमने इन कार्डों को ब्लॉक कर दिया है और ग्राहकों को नए कार्ड जारी कर रहे हैं। हमें हुई असुविधा के लिए खेद है।
एक यूजर ने टेक्नोफिनो पर लिखा, आईमोबाइल पे ऐप पर सुरक्षा गड़बड़ी के कारण मेरे पास किसी और के अमेज़ॅन पे क्रेडिट कार्ड की पहुंच है। हालांकि ओटीपी घरेलू लेनदेन को प्रतिबंधित करता है, मैं आईमोबाइल ऐप से विवरण का उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन कर सकता हूं। वर्ष 2008 में लॉन्च आईमोबाइल पे ऐप के 2.8 करोड़ से अधिक यूजर हैं।

 

सेबी ने हिंडनबर्ग से पहले अदाणी के शेयरों में शॉर्ट कारोबार के लिए दो फंडों की जांच की
Posted Date : 25-Apr-2024 10:02:07 pm

सेबी ने हिंडनबर्ग से पहले अदाणी के शेयरों में शॉर्ट कारोबार के लिए दो फंडों की जांच की

नई दिल्ली  । भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा दो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के खिलाफ जांच शुरू करने के बाद बुधवार को अदाणी समूह के शेयरों में स्थिरता रही। इन दो कंपनियों में एक पर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से ठीक पहले समूह की कंपनियों के शेयरों में शॉर्ट कारोबार का आरोप है। पूंजी बाजार नियामक ने विदेशी फंडों के इन दो अलग-अलग समूहों से संभावित नियम उल्लंघन के लिए स्पष्टीकरण मांगा है।
मामले के जानकार लोगों ने पहचान न बताने की शर्त पर बताया कि बाजार में हेरफेर के आरोपों का सामना कर रहे समूह पर संदेह है कि उसने अरबपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाली फर्मों के शेयरों में शॉर्ट कारोबार किया यानि बेहद कम समय के लिए बड़ी संख्या में शेयर खरीदकर दाम बढ़ाए और फिर मुनाफाखोरी कर शेयर बेच दिये क्योंकि उसे खबर मिली थी कि शॉर्ट सेलर रिपोर्ट जल्द ही प्रकाशित की जाएगी।
उन्होंने फंड का नाम नहीं बताया। निवेशकों के दूसरे समूह की जांच जून 2021 में अडाणी के शेयरों में भारी निवेश के लिए की जा रही है। अडाणी समूह पहले ही इन फंडों के साथ किसी भी तरह के जुड़ाव से इनकार कर चुका है। फंड का स्पष्टीकरण सुनने के बाद बाजार नियामक नई जांच में अंतिम आदेश जारी करेगा।
सेबी या अदाणी समूह ने रिपोर्टों पर कोई टिप्पणी नहीं की। रिपोर्टों के अनुसार, सेबी ने फंडों पर अपने अंतिम लाभकारी मालिकों के बारे में जानकारी बनाए रखने और खुलासा करने में विफल रहने के साथ-साथ कुछ अवधि के दौरान अदाणी समूह की सूचीबद्ध संस्थाओं में निवेश सीमा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

 

पेयू को भुगतान एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए मिली सैद्धांतिक मंजूरी
Posted Date : 25-Apr-2024 10:01:46 pm

पेयू को भुगतान एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए मिली सैद्धांतिक मंजूरी

नई दिल्ली  । डिजिटल वित्तीय सेवा प्रदाता पेयू ने घोषणा की कि उसे भुगतान निपटान अधिनियम, 2007 के तहत भुगतान एग्रीगेटर (पीए) के रूप में काम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। इस मंजूरी के बाद अब पेयू अपने प्लेटफॉर्म पर नए व्यापारियों को शामिल सकेगी।
पेयू के सीईओ अनिर्बान मुखर्जी ने एक बयान में कहा, यह लाइसेंस भारत में बनी विश्व स्तर पर प्रसिद्ध डिजिटल भुगतान बुनियादी ढांचे को स्थापित करने के हमारे मिशन में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, सरकार की डिजिटल इंडिया पहल और आरबीआई के दूरदर्शी नियमों के अनुरूप, हम विशेष रूप से छोटे व्यापारियों के लिए डिजिटलीकरण और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं।
इसके अलावा, कंपनी ने कहा कि आरबीआई की सैद्धांतिक मंजूरी पेयू के अग्रणी डिजिटल भुगतान बुनियादी ढांचे के निर्माण के मिशन को रेखांकित करती है। इस महीने की शुरुआत में, पेयू ने भारतीय व्यापारियों के लिए सीमा पार भुगतान के लिए अमेरिका स्थित फिनटेक कंपनी पेपाल के साथ साझेदारी की थी।
पेयू अपनी तकनीक के माध्यम से ऑनलाइन व्यवसायों को भुगतान गेटवे समाधान प्रदान करता है। इसने देश के अग्रणी उद्यमों, ई-कॉमर्स दिग्गजों और एसएमबी सहित पांच लाख से अधिक व्यवसायों को सशक्त बनाया है। यह व्यवसायों को क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, ईएमआई, बीएनपीएल, क्यूआर, यूपीआई, वॉलेट आदि जैसे 150 से अधिक ऑनलाइन भुगतान तरीकों से डिजिटल भुगतान एकत्र करने की अनुमति देता है।