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गर्मी में चुनावों के कारण इस साल चीनी की रिकॉर्ड खपत, गन्ना किसानों को समय पर मिल सकता है भुगतान
Posted Date : 24-Apr-2024 1:28:12 pm

गर्मी में चुनावों के कारण इस साल चीनी की रिकॉर्ड खपत, गन्ना किसानों को समय पर मिल सकता है भुगतान

नई दिल्ली  ।  भीषण गर्मी के बीच हो रहे लोकसभा चुनावों की वजह से देश में इस साल चीनी की खपत बढक़र रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है। अधिक खपत से न सिर्फ चीनी उत्पादक कंपनियों का मार्जिन बढ़ेगा बल्कि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी। हालांकि, चीनी की मांग बढऩे से घरेलू बाजार में इसकी कीमतें बढ़ सकती हैं। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लि. के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, गर्मी के बीच हो रहे लोकसभा चुनावों की वजह से चीनी की मांग में असामान्य वृद्धि देखने को मिल रही है। इससे इस साल चीनी की कुल खपत बढक़र रिकॉर्ड 2.9 करोड़ टन पहुंच सकती है। 30 सितंबर को समाप्त विपणन वर्ष 2022-23 में कुल खपत 2.78 करोड़ टन रही थी। 
रैलियों के कारण मांग औसत से ज्यादा
बलरामपुर चीनी मिल्स की कार्यकारी निदेशक अवंतिका सरावगी ने कहा, देश के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच गया है। इस बीच हो रही सियासी रैलियों में लाखों की भीड़ जुटने से आइसक्रीम और शीतल पेय की खपत बढ़ गई है, जिससे चीनी की मांग औसत से ज्यादा है।
75 लाख टन खपत का अनुमान
मुंबई स्थित एक डीलर ने बताया, मार्च के मध्य से जून तक गर्मी के महीनों में कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम की मांग बढ़ जाती है। इससे देश में अप्रैल-जून के दौरान चीनी की खपत बढक़र 75 लाख टन पहुंच सकती है। यह सालाना आधार पर 5 फीसदी ज्यादा है।
तीन फीसदी बढ़े दाम
बॉम्बे शुगर मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक जैन ने कहा, सरकार ने पिछले साल की तुलना में अप्रैल के लिए अधिक कोटा आवंटित किया है। लेकिन, थोक उपभोक्ताओं की मजबूत मांग से एक पखवाड़े में चीनी के दाम करीब तीन फीसदी बढ़ गए हैं।

 

कारोबारी गतिविधियां अप्रैल में 14 साल के शीर्ष पर, नौकरियों में वृद्धि को मिला समर्थन
Posted Date : 24-Apr-2024 1:27:55 pm

कारोबारी गतिविधियां अप्रैल में 14 साल के शीर्ष पर, नौकरियों में वृद्धि को मिला समर्थन

नई दिल्ली  । मजबूत मांग के कारण देश की कारोबारी गतिविधियां अप्रैल में लगभग 14 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। यह मजबूत आर्थिक विकास का संकेत है। एचएसबीसी का खरीद प्रबंधक सूचकांक यानी पीएमआई अप्रैल में बढक़र 62.2 हो गया। मार्च में यह 61.8 पर था। 
पीएमआई से पता चलता है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में विस्तार का संकेत है। महंगाई में कमी के बावजूद रेपो दर में कटौती में देरी हो सकती है क्योंकि महंगाई में आगे बहुत गिरावट की संभावना नहीं है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछली कुछ तिमाहियों में मजबूत विस्तार के बाद इस साल भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बने रहने के लिए अच्छी स्थिति में है।
अगस्त 2021 से पीएमआई 50 से ऊपर रहा है। 50 से ऊपर का मतलब कारोबारी गतिविधियों में तेजी और इससे कम का मतलब कमजोरी है। एचएसबीसी के भारत में मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, नए ऑर्डरों में बढ़ोतरी से विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन दिखा है।  
नौकरियों में वृद्धि को मिला समर्थन
बढ़ती मांग को पूरा करने के प्रयासों से नौकरियों में वृद्धि को समर्थन मिला, जो विनिर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक था। यह डेढ़ साल में सबसे तेज गति से बढ़ी। हालांकि मांग की मजबूती से खर्चों का भार ग्राहकों पर डाल दिया गया। सर्वे के अनुसार, महंगाई इतनी तेजी से नहीं गिर सकती कि आरबीआई किसी भी समय दर में कटौती पर विचार करना शुरू कर दे।

 

एक लाख करोड़ रुपए का कर-पूर्व लाभ कमानेवाली पहली भारतीय कंपनी बनी रिलायंस इंडस्ट्रीज
Posted Date : 24-Apr-2024 8:04:55 am

एक लाख करोड़ रुपए का कर-पूर्व लाभ कमानेवाली पहली भारतीय कंपनी बनी रिलायंस इंडस्ट्रीज

नई दिल्ली ।  रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने कंज्यूमर बिजनेस और तेल एवं गैस कारोबार में निरंतर वृद्धि के दम पर 31 मार्च 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 10 लाख करोड़ रुपये (119.9 अरब डॉलर) का सकल राजस्व दर्ज किया है। आरआईएल ने सोमवार को जारी वित्तीय परिणामों में बताया कि ग्राहकों की संख्या में 4.24 करोड़ की मजबूत वृद्धि के कारण जियो प्लेटफ़ॉर्म का राजस्व साल-दर-साल आधार पर 11.7 प्रतिशत बढ़ गया।
रिलायंस रिटेल का राजस्व 17.8 प्रतिशत बढ़ा। सभी उपभोग बास्केट में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। क्षेत्रफल में 1.56 करोड़ वर्ग फुट की बढ़ोतरी हुई जबकि एक अरब से अधिक का रिकॉर्ड फुटफॉल रहा। कच्चे तेल के मानक ब्रेंट क्रूड के दाम में साल-दर-साल आधार पर औसत 13.5 प्रतिशत की गिरावट के कारण उत्पाद की कीमतों में कमी से कंपनी का ऑर्डर टू कैश प्रोसेस राजस्व पांच प्रतिशत घट गया। आरआईएल ने एक बयान में कहा, हालांकि उच्च उत्पादन से इसकी आंशिक भरपाई हुई। केजी डी6 क्षेत्र से कम गैस मूल्य प्राप्ति के बावजूद, मुख्य रूप से केजी डी6 ब्लॉक से अधिक मात्रा के कारण तेल और गैस खंड से राजस्व में 48 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
नतीजों पर टिप्पणी करते हुए, रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, आरआईएल के व्यवसायों की पहल ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। यह जानकर खुशी हो रही है कि मजबूत होने के साथ-साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सभी क्षेत्रों ने मजबूत वित्तीय और परिचालन प्रदर्शन दर्ज किया है। इससे कंपनी को कई उपलब्धियां हासिल करने में मदद मिली है। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस साल, रिलायंस कर-पूर्व मुनाफे में एक लाख करोड़ रुपये की सीमा पार करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई। अंबानी ने कहा कि मोबिलिटी और फिक्स्ड वायरलेस सेवाओं द्वारा समर्थित, ग्राहक आधार के त्वरित विस्तार से डिजिटल सेवा खंड के प्रदर्शन को बढ़ावा मिला है।
उन्होंने कहा, 10.8 करोड़ से अधिक ट्रू 5जी ग्राहकों के साथ, जियो वास्तव में देश में 5जी परिवर्तन का नेतृत्व करता है। अब तक 2जी यूजरों को स्मार्टफोन में अपग्रेड करने से लेकर एआई-संचालित समाधान बनाने के प्रयास का नेतृत्व करने तक, जियो ने देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में अपनी क्षमता साबित की है। अंबानी ने कहा, हम स्टोरों की री-मॉडलिंग और लेआउट में सुधार के माध्यम से उत्पाद विविधता और बेहतर ऑफ़लाइन अनुभव प्रदान करना जारी रखते हैं। हमारे डिजिटल कॉमर्स प्लेटफॉर्म व्यापक ब्रांड कैटलॉग के साथ यूजरों को नए समाधान भी प्रदान करते हैं। रिलायंस रिटेल अपनी अनूठी पहल के माध्यम से नए वाणिज्य क्षेत्र में लाखों व्यापारियों को मजबूत करने की दिशा में भी काम करता है।
वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 की 31 मार्च को समाप्त चौथी तिमाही में आरआईएल का सकल राजस्व 2.64 लाख करोड़ रुपये (31.8 अरब डॉलर) था, जो एक साल पहले की समान तिमाही से 10.8 प्रतिशत अधिक है। इसमें ओटूसी और उपभोक्ता व्यवसाय में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। केजी डी6 ब्लॉक से अधिक मात्रा में बिक्री के साथ तेल और गैस खंड के राजस्व में 42 प्रतिशत की तेजी से वृद्धि हुई। सभी व्यवसायों के मजबूत योगदान से तिमाही में कर पूर्व लाभ साल-दर-साल 14.3 प्रतिशत बढक़र 47,150 करोड़ रुपये (5.7 अरब डॉलर) हो गया।

 

2024-25 में पांच साल के निचले स्तर पर आएगी खुदरा महंगाई, वित्त वर्ष में सामान्य रहेंगी सब्जियों के दाम
Posted Date : 24-Apr-2024 8:04:31 am

2024-25 में पांच साल के निचले स्तर पर आएगी खुदरा महंगाई, वित्त वर्ष में सामान्य रहेंगी सब्जियों के दाम

नई दिल्ली ।  खुदरा महंगाई चालू वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर पांच साल के निचले स्तर पर आ सकती है। सब्जियों की आपूर्ति और कीमतों के सामान्य रहने से खुदरा महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई 2024-25 में कम होकर 4.4 फीसदी पर आ सकती है। यह आरबीआई के 4.5 फीसदी के अनुमान से भी कम है। 2023-24 में सीपीआई महंगाई 5.4 फीसदी रही थी, जबकि 2019-20 में 4.8 फीसदी रही थी। सीएमआईई का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में आलू, प्याज व टमाटर जैसी प्रमुख सब्जियों की आपूर्ति सामान्य रहेगी।?कीमतों में भी बड़े उतार-चढ़ाव के संकेत नहीं दिख रहे हैं। इससे खुदरा महंगाई 2024-25 में घटकर आरबीआई के चार फीसदी के लक्ष्य के और करीब पहुंच जाएगी। हालांकि, अन्य उत्पादों के दाम बढऩे से मुख्य महंगाई (खाद्य उत्पाद व ईंधन-बिजली को छोडक़र) चालू वित्त वर्ष में बढ़ सकती है।
सोने और चांदी में आगे भी बनी रहेगी तेजी
अन्य उत्पादों में सोने और चांदी की कीमतें मार्च, 2024 से बढ़ रही हैं। अप्रैल, 2024 में इनके दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए। बीएसई पर सोने की हाजिर कीमत 73,092 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी की 83,777 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। आगे भी कीमतें ऊंची बनी रहेंगी।
बढ़ सकते हैं क्रूड के दाम
रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे तेल की भारतीय बास्केट में कीमतें 2024-25 में 4.1 फीसदी बढक़र 85.8 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकती है। पहले कीमतों में एक फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया था। जून, 2022 व मार्च, 2024 के बीच परिवहन ईंधन की कीमतें अपरिवर्तित रहीं, जिसके बाद उनमें और भी कमी की गई। 2022-23 में कच्चे तेल की कीमतों में 18.5 फीसदी की भारी वृद्धि हुई, जबकि 2023-24 में उनमें सिर्फ 11.7 फीसदी की गिरावट आई। चालू वित्त वर्ष में और वृद्धि के साथ तेल विपणन कंपनियां पिछले दो वर्षों में हुए घाटे की भरपाई सुनिश्चित करेंगी। इस प्रकार, जून तिमाही के बाद परिवहन ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं।

 

विनिर्माण क्षेत्र में 40 फीसदी तक पहुंच सकती है महिला प्रशिक्षुओं की भागीदारी, 70 प्रतिशत ग्रामीण
Posted Date : 24-Apr-2024 8:03:06 am

विनिर्माण क्षेत्र में 40 फीसदी तक पहुंच सकती है महिला प्रशिक्षुओं की भागीदारी, 70 प्रतिशत ग्रामीण

 नई दिल्ली  । विनिर्माण क्षेत्र में महिला प्रशिक्षुओं की मांग में तेज वृद्धि हुई है। कारखाने अब लैंगिक समानता को अपना रहे हैं। इस साल के अंत तक उम्मीद है कि विनिर्माण क्षेत्र में महिला प्रशिक्षुओं की संख्या 40 फीसदी तक पहुंच सकती है। टीमलीज के अनुसार, 8 से 10 महीने में 10 वीं व 12वीं कक्षा पास करने वाली महिला प्रशिक्षु को नियुक्त करने की मांग में पांच गुना वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, महिला प्रशिक्षुओं की मांग में वृद्धि वाहन, ई-वाहन, इलेक्ट्रॉनिक तथा फोन विनिर्माण क्षेत्रों में तेजी के कारण आई है। इससे महिला प्रशिक्षुओं के प्रतिनिधित्व में अच्छी खासी वृद्धि का अनुमान है। 
70 फीसदी महिलाएं ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों से
विनिर्माण क्षेत्र में प्रशिक्षु के रूप में करीब 70 प्रतिशत महिलाएं ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से हैं। यह कौशल विकास तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये इन क्षेत्रों में महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण अवसर का संकेत देता है।
रिपोर्ट के अनुसार, पहले हर महीने 1,000-2,000 महिला प्रशिक्षुओं की मांग थी।?यह बढक़र अब 10,000 से 12,000 प्रति महीने पहुंच गई?है।?वहीं, इनकी भर्तियां भी 10-15 फीसदी से बढक़र 40-45 फीसदी पहुंच गई?है।
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सरकार की कमाई में इजाफा, डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 2023-24 में 17.7 प्रतिशत बढ़ा
Posted Date : 22-Apr-2024 1:21:57 pm

सरकार की कमाई में इजाफा, डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 2023-24 में 17.7 प्रतिशत बढ़ा

नई दिल्ली  । वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन केंद्रीय बजट अनुमान से 1.35 लाख करोड़ रुपये या 7.4 प्रतिशत अधिक है, जो मजबूत राजकोषीय स्थिति को दर्शाता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा रविवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश में मजबूत आर्थिक विकास जारी है।
कॉर्पोरेट टैक्स और पर्सनल इनकम टैक्स सहित शुद्ध डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 2023-24 में 17.7 प्रतिशत बढक़र 19.58 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 16.64 लाख करोड़ रुपये था। 2023-24 के केंद्रीय बजट में प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य 18.23 लाख करोड़ रुपये तय किया गया था और बाद में संशोधित अनुमान (रिवाइज्ड) में इसे बढ़ाकर 19.45 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह (प्रोविजनल- रिफंड से पहले) 23.37 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 19.72 लाख करोड़ रुपये के सकल संग्रह से 1.48 प्रतिशत की वृद्धि है।
वित्त वर्ष 2023-24 में कुल कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन (प्रोविजनल) 11.32 लाख करोड़ रुपये है और पिछले वर्ष के 10 लाख करोड़ रुपये के सकल कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन की तुलना में 13.06 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में शुद्ध कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन (रिवाइज्ड) 9.11 लाख करोड़ रुपये है और पिछले वर्ष के 8.26 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन की तुलना में 10.26 प्रतिशत अधिक है। यह अर्थव्यवस्था में मजबूत आर्थिक विकास का संकेत है जिसके कारण कॉर्पोरेट मुनाफा बढ़ा है और व्यक्तिगत आय में वृद्धि हुई है।
वित्त वर्ष 2023-24 में कुल पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन (एसटीटी सहित) 12.1 लाख करोड़ रुपये है और पिछले वर्ष के 9.67 लाख करोड़ रुपये के सकल पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन (एसटीटी सहित) की तुलना में 24.26 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में 3.79 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2022-23 में जारी 3.09 लाख करोड़ रुपये के रिफंड से 22.74 प्रतिशत की वृद्धि है।
कर संग्रह में उछाल ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने में मदद की है और अर्थव्यवस्था के व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत किया है। कम राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को कम उधार लेना होगा जिससे बड़ी कंपनियों के लिए उधार लेने और निवेश करने के लिए बैंकिंग प्रणाली में अधिक पैसा बचेगा। इसके चलते उच्च आर्थिक विकास दर और अधिक नौकरियों का सृजन होता है। कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को भी नियंत्रित रखता है जो अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करता है।